कहो न प्यार है






















रितिक रोशन को मैंने उनकी पहली फिल्म से देखा और जाना। ‘कहो न प्यार है’ जब सिनेमाघरों में लगी तो लोग लगभग रितिक के दीवाने हो गये। इसका कारण था उनकी शानदार बाडी-फिगर और उनका चेहरा जिसपर कंझी आंखें, पतली नाक, सुन्दर होठ और चेहरे की अद~भुत बनावट। उनकी लंबाई जिस तरह उनके शरीर को सुन्दरता प्रदान करती है, वैसा बालीवुड में किसी हीरो के साथ देखने को नहीं मिलता।

मुझे रितिक काफी अच्छे लगे उस समय। हालांकि आज मुझे लगभग सभी हीरो उतने पसंद नहीं। रितिक में उस समय एक बात थी। अब वे पहले से अलग दिखते हैं। चाहें अभिषेक बच्चन हों, आमिर खान, शाहरुख खान हों, ये लोग पहले से काफी बदल गये हैं। रितिक बदलें जरुर हैं, मगर जो मासूमियत और शर्मीलापन रितिक में झलकता था, वैसा शायद अब दिखता नहीं। पहले रितिक एक बच्चे की तरह थे, आज के रितिक कुछ बड़े हैं, लेकिन अदाकारी में निखरते जा रहे हैं।

अमिषा पटेल की केवल मैंने यही तस्वीर बनायी है जिसमें रितिक उनके साथ हैं। उन्हें हालांकि मैं उतने ढंग से नहीं बनाया पाया, मगर उनके हंसते मुंह को बनाने में कामयाब जरुर रहा। उनकी आंखें भी अच्छी लग रही हैं। जहां तक रितिक की बात है, उनकी आंखें ही उनकी असली पहचान हैं। उनके होठों को सिकुड़ते देख सकते हैं हम। वे उतने बुरे नहीं लगते। मैं सोचता हूं कि यदि मैं हालीवुड में कोई प्रोड~यूसर होता तो उन्हें अपनी फिल्म में हीरो लेता क्योंकि वे अपनी फिगर के हिसाब से पूरी दुनिया में बेहतरीन लगते हैं।

पैंसिल से आप किसी चित्र को बनाते हैं, तो समय लगता है और एक तरह का आनंद भी आता है। मुझे चित्र बनाते हुए काफी अच्छा लगता है। मैं यह मानता हूं कि यदि कोई पूरे समय से तस्वीर बनाये तो वह बेहतर बन सकती है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि हम कुछ नहीं कर सकते। किया बहुत कुछ जा सकता है, पर उसके लिए हमें समय चाहिए। अगर हम हार मान लेते हैं तो कुछ नहीं किया जा सकता।

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