pot pencil shade


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महिला




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लैंडस्केप



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शुभ दीपावली और गुलाब

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बेटी

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टीना


























ये चेहरा ज्यादा अजीब नहीं है। इसमें कल्पनाएं ही हैं क्योंकि इसे किसी लड़की की कल्पना करके ही बनाया गया है। मगर यह चित्र अधूरा है।

मुझे राम की टीना के बारे में याद आया। राम को लगता है कि वह टीना को पहले से नहीं, बहुत पहले से जानता है। शायद टीना जब इसे पढ़े तो उसे अजीब लगे। राम कहता है कि लोग इसलिए मिलते हैं, क्योंकि पिछले जनमों में जो बातें अधूरी रह गयी थीं, वे शायद इस जन्म में पूरी हो जाएं।

अंजलि बूढ़ी काकी को भी अच्छी लगती है। राम की खुशी के लिए मैंने टीना का चित्र बनाने की कोशिश की। वैसे राम ने एक बार अंजलि और राहुल से पूछा था कि टीना दिखने में कैसी है। खैर, जैसी भी हो, मैंने उसने बनाने की कोशिश की है। चाहें टीना को यह बुरा लगे या भला। मैं साफ कहता हूं।

मुझे टीना के कमेंट का इंतजार रहेगा।

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सेब

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अंजलि

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शबनम- जिसने सात की हत्या की

























शबनम ने पिछले साल अपने परिवार के सात लोगों की हत्या अपने प्रेमी संग मिलकर की थी। इस समय वह हवालात में है। उसने एक संतान को जन्म दिया है जो उसके साथ जेल में है। उसने अपने परिवार के सभी सदस्यों को दूध में नशीली दवाई मिला दी थी। जिससे पूरा परिवार बेहोश हो गया था और शबनम ने अपने प्रेमी से कहा कि सबका गला रेतते चले जाओ। शबनम कहती गयी और उसका प्रेमी गला रेतता गया। यह मामला कई दिन में खुला था। यहां तक की मुख्यमंत्री मायावती खुद बावनखेड़ी, जेपी नगर आयी थीं।

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जेनिलया

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आफताब शिवदासानी

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ब्लैक

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छोटी बच्ची

सबसे पहले एक आंख की आउटलाइन बनाई। फिर उसे तैयार किया। यह पूरा चित्र पेंसिल की सहायता से बनाया गया है। मैंने पाया कि मुझे पेंसिल से तस्वीर बनाने में सहजता होती है।

मैंने हमेशा महसूस किया कि मैं आंखों को जीवित करने की कोशिश कर सकता हूं। इस चित्र में यह लड़की ध्यान से किताब पढ़ रही है। उसकी निगाह किताब में है। उसके होठ काफी सुन्दर लगते हैं। हालांकि ऐसा बनाने में मैंने ज्यादा वक्त खर्च नहीं किया।

लड़की के बालों की उलझन ने चित्र को शानदार बना दिया। उसके बाल कई जगह घुमाव लिए हैं। मैंने इसपर काफी बारीकी से काम किया है। एक-एक बाल को तसल्ली से बनाया गया है।

किताब को इस तरह हाथों में समाया है कि लड़की को उसे थामने में कोई परेशानी नहीं है। काफी वक्त बाद उंगलियां ठीक-ठाक बन पायी है। मैं उंगलियां बनाते समय दुविधा में पड़ जाता था। इसका एक कारण शायद यह भी रहा हो कि मैं पहले ऊपर का हिस्सा बनाता हूं, बाद में बाकी हिस्से।

इस चित्र को देखकर मुझे शुभी की याद आती है। वैसे शुभी एक हंसमुख, चंचल और गोलमटोल लड़की है।

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एक सुन्दर लड़की

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हरभजन सिंह
























हरभजन सिंह को हैट के साथ देखना और उसे बनाना एक अलग अनुभव था। यहां मैं आंखों की बात जरुर करुंगा। उनकी आंखों को मैंने तसल्ली से बनाया है। उनकी मूंछें और हल्की दाड़ी बनाने में अधिक समय नहीं लगा। दाड़ी के बिना उनका चेहरा सूना है।

मुझे उनका हैट बनाने में थोड़ा समय लगा क्योंकि उसमें काला करना था। मेरा अपना तरीका है। मैं हर चित्र को बारीकी से देखता हूं और फिर उसे उकेरता हूं। ऐसा करने से किसी भी तस्वीर में जीवंतता लाने की कोशिश की जा सकती है। एक चित्रकार के लिए यह बेहतर भी है।

धीमे-धीमे बाल पैन चलाकर मैंने यह चित्र तैयार किया। मैं इसे अपने बेहतरीन चित्रों में शुमार करता हूं। सचिन तेंदुलकर की तस्वीर बनाने के बाद मुझे यह तस्वीर बहुत अच्छी लगी।

कुल मिलाकर मैं यह कहना चाहूंगा कि भज्जी को खेलता देखना और बनाना दोनों की मजेदार हैं।

-yours,
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लगान

























लगान फिल्म अपने जमाने की सुपरहिट थी। इसे आस्कर के लिए भी भेजा गया था। पर यह विफल रही। लेकिन पूरी दुनिया में इसका डंका बजा था।

मेरे जहन में अचानक ही आमिर खान और ग्रेसी सिंह को एक साथ बनाने का ख्याल आया। फिल्म जबकि मैंने पूरी नहीं देखी, मगर इन दोनों की जोड़ी फिल्म की जान थी। जितना श्रेय आप आमिर को देते हैं, ग्रेसी उनसे कहीं कम नहीं बैठतीं।

मैं यह मानता हूं कि यह चित्र उतना कमाल का नहीं बना। पर मैंने इसे बनाने में काफी समय खर्च कर दिया। पहले तो यह कि इसके लिए मेरे पास एक पतला पेपर था। दूसरा यह कि इसे मैंने स्मूथ करने में काफी समय लगाया। ग्रेसी की साड़ी की बात हो या उनकी चूड़ियां सभी में तसल्ली से काम किया गया।

हंसती हुई ग्रेसी काफी अच्छी लग रही है। उनके दांत और सिकुड़ी आंखें कमाल की हैं। वहीं आमिर भी उसी दिशा में देख रहे हैं जिस दिशा में ग्रेसी। दोनों एक दूसरे के साथ एक मनमोहक मुद्रा में हैं।

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SCENERY

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गुलाब

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कहो न प्यार है






















रितिक रोशन को मैंने उनकी पहली फिल्म से देखा और जाना। ‘कहो न प्यार है’ जब सिनेमाघरों में लगी तो लोग लगभग रितिक के दीवाने हो गये। इसका कारण था उनकी शानदार बाडी-फिगर और उनका चेहरा जिसपर कंझी आंखें, पतली नाक, सुन्दर होठ और चेहरे की अद~भुत बनावट। उनकी लंबाई जिस तरह उनके शरीर को सुन्दरता प्रदान करती है, वैसा बालीवुड में किसी हीरो के साथ देखने को नहीं मिलता।

मुझे रितिक काफी अच्छे लगे उस समय। हालांकि आज मुझे लगभग सभी हीरो उतने पसंद नहीं। रितिक में उस समय एक बात थी। अब वे पहले से अलग दिखते हैं। चाहें अभिषेक बच्चन हों, आमिर खान, शाहरुख खान हों, ये लोग पहले से काफी बदल गये हैं। रितिक बदलें जरुर हैं, मगर जो मासूमियत और शर्मीलापन रितिक में झलकता था, वैसा शायद अब दिखता नहीं। पहले रितिक एक बच्चे की तरह थे, आज के रितिक कुछ बड़े हैं, लेकिन अदाकारी में निखरते जा रहे हैं।

अमिषा पटेल की केवल मैंने यही तस्वीर बनायी है जिसमें रितिक उनके साथ हैं। उन्हें हालांकि मैं उतने ढंग से नहीं बनाया पाया, मगर उनके हंसते मुंह को बनाने में कामयाब जरुर रहा। उनकी आंखें भी अच्छी लग रही हैं। जहां तक रितिक की बात है, उनकी आंखें ही उनकी असली पहचान हैं। उनके होठों को सिकुड़ते देख सकते हैं हम। वे उतने बुरे नहीं लगते। मैं सोचता हूं कि यदि मैं हालीवुड में कोई प्रोड~यूसर होता तो उन्हें अपनी फिल्म में हीरो लेता क्योंकि वे अपनी फिगर के हिसाब से पूरी दुनिया में बेहतरीन लगते हैं।

पैंसिल से आप किसी चित्र को बनाते हैं, तो समय लगता है और एक तरह का आनंद भी आता है। मुझे चित्र बनाते हुए काफी अच्छा लगता है। मैं यह मानता हूं कि यदि कोई पूरे समय से तस्वीर बनाये तो वह बेहतर बन सकती है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि हम कुछ नहीं कर सकते। किया बहुत कुछ जा सकता है, पर उसके लिए हमें समय चाहिए। अगर हम हार मान लेते हैं तो कुछ नहीं किया जा सकता। Read More!

भगत सिंह

























भगत सिंह को कभी भूला नहीं जा सकता। इस नौजवान में इतनी ऊर्जा थी कि दूसरा भगत पैदा होना नामुमकिन है। उनके चेहरे का आकार, बनावट हमें आकर्षित करती है। एक अजीब उत्साह जाग्रत होता है जब हम भगत की हैट वाली तस्वीर देखते हैं। कुल मिलाकर एक शानदार व्यक्तित्व की जानदार तस्वीर।

भगत की आंखों को देखकर लगता है जैसे अभी कुछ कहने वाली हैं। इस महान व्यक्ति को हमने इतनी कम उम्र में खो दिया। मुझे दुख होता है। भगत को श्रद्धांजली देने के लिए मैंने यह तस्वीर 2002 में तैयार की थी। उनके हैट को बनाने में समय तो लगा, लेकिन वह अच्छा सज गया। ‘जचेबिल’ चेहरे के भगत सिंह एक पल को मासूम भी लगते हैं।

मैं चाहता हूं कि भगत सिंह के ढेरों चित्र बनाऊं। मुझे खुशी मिलेगी। हालांकि अब मैं उतने चित्र नहीं बना रहा, लेकिन उन चित्रों को संजोने की कोशिश कर रहा हूं जो काफी पहले बनाये थे। शौक-शौक में मैं इतना कुछ बना गया कि जब मैं आज अपने द्वारा बनायी तस्वीरों को देखता हूं तो पाता हूं कि मेरे पास तो एक अच्छा खासा संग्रह हो गया।

भगत सिंह का यह पैंसिल-चित्र बनाने में मुझे लगा कि एक ऐसे व्यक्ति को कागज पर उकेर रहा हूं, जिसपर हमें गर्व है।

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कैटरीना कैफ
























दो चीजें कैटरीना कैफ में अलग हैं। उनकी आंखों को देखकर कोई भी चित्रकार नहीं चाहेगा कि वह उन्हें न उकेरे। तसल्ली से देखने पर लगता है जैसे उनके चेहरे की सबसे बेहतरीन बात यही है। पलकों की सजवाट कुदरत की देन होती है। दूसरी है, उनके होठों की बनावट। मुझे काफी मशक्कत करनी पड़ती है जब मैं चाहें अभिषेक बच्चन के होठ बना रहा हूं, या एश्वर्य राय के। कैटरीना के होठ उनकी मुख्य पहचान हैं। उनके दो दांत चित्र में आसानी से देखे जा सकते हैं। ठोडी का आकार दूसरों से अलग जरुर है।

बालों को बनाने में मुझे कभी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। मैं मानता हूं कि कैटरीना को बनाना इतना आसान नहीं, मगर मैंने पूरी कोशिश की। मैं जानता हूं कि इस चित्र को बेहतर और अधिक किया जा सकता था, लेकिन शायद मैं एक चित्र को दोबारा नहीं बनाता- मजबूरी थकान की भी कही जा सकती है और हां, समय को कैसे भूला जा सकता है।

पैंसिल से बना है यह चित्र। केवल तीन बार पैंसिल को छीलना पड़ा- बाकि काम हाथ की अंगुलियों और आंख की पुतलियों ने किया। मस्तिष्क को कैसे भूला जा सकता है। ध्यान और शांति से बहुत कुछ सुन्दर बनाया जा सकता है।

आंखों की बात करुं तो सबसे पहले मैं आंखों से शुरुआत करता हूं- फिर नाम बनाता हूं और उसके बाद होठ। आंखों को जीवित करने की कोशिश मैंने सदा की है। शायद बोलती आंखें अच्छी लगती हैं। जितना समय मैं आंखें बनाने में खर्च करता हूं, उतने समय में बाकी चीजें बनती हैं।

-harminder singh
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शाहरुख खान
























शाहरुख खान की मेरे हिसाब से मुख्य पहचान उनके बाल और मोटे होठ हैं। जब आमिर खान और असिन का मैं चित्र तैयार कर रहा था, तभी मैंने सोच लिया कि ‘रब ने बना दी जोड़ी’ फिल्म के पात्र ‘सूरी जी’ की तस्वीर भी बना ली जाए।

जब शाहरुख खान की इस फिल्म का अखबारों में प्रचार शुरु हुआ, तभी मुझे लगा कि इसमें कुछ नया देखने को मिलेगा। मूंछों वाले शाहरुख को देखने की तमन्ना थी क्योंकि उन्होंने जिस तरह से मूंछों और चश्मे को लगाकर अपना भेष बदला था, वह शानदार लगता था।

हर बार की तरह आंखों से शुरुआत की। शाहरुख की आंखें काफी बेहतरीन बनायी जा सकती हैं। उनकी भौंहें और माथे के बल उनकी सिकुड़ती आंखों के साथ एक अद~भुत रिश्ता बनाते हैं। यहां हम उनकी आवाज की बात नहीं करेंगे।

शाहरुख की यह तस्वीर मैं बिना चश्मे के बनाने वाला था। मैंने पहले चश्मा बनाया, फिर मिटा दिया और आखिर में फिर बना दिया। कई बार हम सोच कुछ रहे होते हैं, कर कुछ जाते हैं। बिना चश्मे के तस्वीर पूरी नहीं लगती, लेकिन उसे अधूरी भी नहीं कहा जा सकता।

अनुष्का शर्मा ‘सूरी जी’ के पीछे आधा चेहरा छिपाये खड़ी दिखाई देती हैं। उनकी केवल आंखें चमकती हैं। मैं अनुष्का की उतनी झलक बनाने वाला था, लेकिन मेरे हिसाब से बात नहीं बनी। जबकि पूरी फिल्म में दोनों की जोड़ी खूब जमी है। अनुष्का की एक तस्वीर मैं तैयार करने की योजना बना रहा हूं। वह जब वे मोमबत्ती जला रही होती हैं। शाहरुख के बाल आसानी से बन गए। पैंसिल को चलाने में विशेष परेशानी नहीं हुई।

कुल मिलाकर मैं कह सकता हूं कि इस चित्र को बनाने में समय मजेदार रहा।

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गजनी
























मुझे काफी समय हो गया था कोई चित्र बनाये। 2008 के आखिर में ‘गजनी’ फिल्म आयी। मैंने उसे देखा। मुझे लगा कि आमिर खान को बनाया जाए। संयोग यह बैठा कि उनके जिस चित्र को मैंने बनाने की सोची उसमें उनकी को-स्टार आसिन भी उनके साथ थीं। इस तरह मुझे लगा कि यह चित्र कमाल का बनेगा।

आमतौर पर मैं पैंसिल से चित्र बनाता हूं। कई बार काले बाल पैन से भी मैंने आकृतियां उकेरी हैं। इस चित्र में बाल पैन का प्रयोग हुआ है। मैं कुछ बच्चों को यह दिखाना चाहता था। मुझे लगता है कि यदि हम कोई चीज मेहनत से बनाते हैं तो उसे पसंद किया जाता है। ‘गजनी’ का यह चित्र लोगों ने बहुत सराहा। मुझे पता है इसमें कितना समय लगा, लेकिन चित्र पूरा करने के बाद हर बार की तरह मुझे अच्छा महसूस हुआ।

आमिर खान के बालों को बनाने में उतना समय नहीं लगा जितना आसिन के बालों को लगा। मैंने लगभग बारीकी से आसिन का एक-एक बाल बनाने की कोशिश की। आंखें बनाना मुझे सबसे बेहतर लगता है। आसिन की आंखें बंद हैं और आमिर की भी। दोनों एक-दूसरे में खोये हैं। सो मैं भी इस चित्र को बनाते हुए खो गया था। आसिन की अंगुलियों को बनाते हुए लगा कि कहीं मैं पक्षपात तो नहीं कर रहा क्योंकि उसकी अंगुलियां बहुत सुन्दर हैं। वैसे मुझे लगता है कि हां, मैं उसकी अंगुलियों के साथ पूरा न्याय नहीं कर पाया। दरअसल मैं किसी भी चित्र को एक बार बनाने की कोशिश करता हूं। इस कारण मेरे चित्र अधूरे भी रह जाते हैं जिन्हें बाद में पूरा करना मेरे लिए मुश्किल होता है। इस चित्र में आमिर खान की कमीज को मैं पूरा नहीं कर पाया। मैंने बाद में कोशिश भी नहीं की कि इसे पूरा कर लूं। यह शायद मुझमें अजीब आदत है। वैसे एक चित्रकार को ऐसा नहीं होना चाहिए।

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सचिन तेंदुलकर

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